जापान में चुनावी सभा के दौरान पीछे से आए हमलावर ने मारी दो गोलियां, भारत में आज राष्ट्रीय शोक का ऐलान
भारत मित्र और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे(Shinzo Abe) की शुक्रवार को गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना के वक्त आबे नारा शहर में चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। पीछे से आए हमलावर ने उन्हें दो गोलियां मारी और आबे गिर पड़े। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया पर बचाया नहीं जा सका। सुरक्षाकर्मियों ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। उससे पूछताछ जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घटना को पीड़ादायक बताते हुए राजकीय शोक की घोषणा की है।
नीतियों से नाखुश था : हमलावर का असली मकसद क्या था, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है पर मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि वह शिंजो आबे की नीतियों से नाखुश था। प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने इस हमले को बर्बर करार दिया है। उन्होंने कहा कि इसे माफ नहीं किया जा सकता।
गोली से दिल में बन गया था बड़ा छेद : नारा मेडिकल यूनिवर्सिटी के आपातकालीन विभाग के प्रमुख हिदेतादा फुकुशिमा ने कहा कि उनकी गर्दन पर दो बार गोली चली। इससे दिल में बड़ा छेद बन गया था। धमनी क्षतिग्रस्त हो जाने से काफी रक्तस्राव हुआ। जब आबे को अस्पताल लाया गया तो उनकी सांसें चल रही थीं लेकिन दिल का दौरा पड़ा और उनके महत्वपूर्ण अंग फिर से सक्रिय नहीं हो पाए।
दो दशक तक जापान की सियासत पर छाए रहे: आबे सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रभावशाली नेता थे और वह उसके सबसे बड़े धड़े सेइवकाई का नेतृत्व करते थे। जापान के पूर्व विदेश मंत्री शिनतारो आबे के पुत्र शिंजो आबे को वहां की राजनीति में प्रिंस कहा जाता था। वो एक तरह से जापान की सियासत में छाए रहने वाले परिवार से आते थे। उनके दादा नोबुसुके किशी जापान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। करीब दो दशक तक शिंजो आबे वहां की राजनीति का चमकता सितारा रहे। भारत ही नहीं, दुनियाभर में नेताओं के साथ लोग भी उन्हें बेहद सम्मान की नजर से देखते थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद वह जापान के सबसे युवा पीएम चुने गए थे। स्वास्थ्य कारणों से 28 अगस्त 2020 को आबे ने प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया था। प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा कि सरकार सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करेगी। बता दें कि जापानी संसद के ऊपरी सदन के लिए रविवार को मतदान होना है। इसी के लिए शिंजो आबे प्रचार कर रहे थे।
जापान में इस तरह की वारदातें दुर्लभ ही सुनने को मिलती हैं। हालांकि, 90 साल पहले नौसेना के अधिकारियों ने ही प्रधानमंत्री की हत्या कर दी थी। तख्तापलट करने की कोशिश में ये हत्या हुई थी परतख्तापलट हो नहीं पाया था